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भारवि के उद्धरण

जिससे आत्मकल्याण हो, गुण उत्पन्न हो, आपत्तियाँ दूर हों—इस प्रकार से अनेक फल देने वाली श्रेष्ठ जनों की मित्रता की कामना क्यों न कीजिए?

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