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वेदव्यास के उद्धरण

जिसकी बुद्धि पर जड़ता छा रही हो, वह शूरवीर योद्धा दीर्घकाल तक विद्वान की सेवा में रहने पर भी धर्मो का रहस्य नहीं जान पाता, ठीक उसी तरह, जैसे करछली दाल में डूबी रहने पर भी उसके स्वाद को नहीं जानती।