हिंसा के मार्ग का संशोधन और संगठन करने का मनुष्य ने जितना दीर्घ उद्योग किया है और उसका बहुत अंशों में शास्त्र बना डालने में सफलता पाई है, उतना यदि वह अहिंसा की शक्ति के संशोधन और संगठन के लिए करे, तो मनुष्य जाति के दुःखों के निवारणार्थ यह एक अनमोल, सर्वदा अव्यर्थ और परिणाम में उभयपक्ष का कल्याण करनेवाला साधन सिद्ध होगा।