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कालिदास के उद्धरण

हे मेघ! कृषि कार्य का सब फल तुम्हारे अधीन है, इस विचार से भूविलास से अनभिज्ञ (भोली-भाली) ग्रामवधुएँ अपने प्रेम-भरे नेत्रों से तुम्हें पी लेगी।