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हरमन हेस के उद्धरण

गोविंदा ने कहा: 'लेकिन जिसे तुम वस्तु कहते हो, क्या वह कुछ वास्तविक, कुछ अंतर्निहित है? क्या यह सिर्फ़ माया का भ्रम, केवल छवि और रूप नहीं है?