एक (बुद्धि) से दो (कर्तव्य और अकर्तव्य) का निश्चय करके, चार (साम, दान, दंड, भेद) से तीन (शत्रु, मित्र तथा उदासीन) को वश में कीजिए। पाँच (इंद्रियों) को जीतकर छड़ (संधि, विग्रह, यान, आसन, द्वैधी भाव और समाश्रय रूप गुणों) को जानकर, सात (स्त्री, जुआ, मृगया, मद्य, कठोर वचन, दंड की कठोरता और अन्याय से धनो-पार्जन) को छोड़कर सुखी हो जाइए।