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चक पैलनिक के उद्धरण

एक बार, मेरा जीवन मुझे मेरा जीवन बेहद संपूर्ण लगने लगा था। शायद हमको ख़ुद का विध्वंस करना होता है कि रच सकें हम कुछ नया।

अनुवाद : निशांत कौशिक

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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