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महात्मा गांधी के उद्धरण

धर्म से मेरा अभिप्राय औपचारिक धर्म या रूढ़िगत धर्म से नहीं, परंतु उस धर्म से हैं जो सब धर्मों की बुनियाद है और जो हमें अपने सर्जनहार का साक्षात्कार करता है।