हजारीप्रसाद द्विवेदी के उद्धरण
देवता न बड़ा होता है, न छोटा, न शक्तिशाली होता है, न अशक्त। वह उतना ही बड़ा होता है जितना बड़ा उसे उपासक बनाना चाहता है।
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