आचार्य रामचंद्र शुक्ल के उद्धरण
छंद वास्तव में बँधी हुई लय के भीतरी भिन्न-भिन्न ढाँचों का योग है जो निर्दिष्ट लंबाई का होता है। लय स्वर के चढ़ाव उतार के छोटे-छोटे ढाँचे ही हैं जो किसी छंद के चरण के भीतर न्यस्त रहते हैं।
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