Font by Mehr Nastaliq Web

मारियो वार्गास ल्योसा के उद्धरण

चाहे वह कितना भी क्षणभंगुर क्यों न हो; एक उपन्यास कुछ तो होता है, जबकि निराशा कुछ भी नहीं होती।

अनुवाद : सरिता शर्मा