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यू. आर. अनंतमूर्ति के उद्धरण

बुद्धि के तीक्ष्णता के स्पर्श के बिना; भाव मवाद बनता है, भाव के संपर्क के बिना बुद्धि राक्षस बन जाती है।

अनुवाद : मुकुंद जोशी