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मनोहर श्याम जोशी के उद्धरण

अगर स्वाधीनता इसलिए चाहिए कि प्रेम हो सके और प्रेम तभी होता हो, जब प्रतिबद्धता हो तो स्वाधीनता का क्या होता है और प्रेम का क्या बनता है?