महात्मा गांधी के उद्धरण

अच्छे गवैये स्वर तो ऊँचा या नीचा वही पकड़ते हैं, जिसे वे अच्छी तरह निभा सकें; मगर उस पर सारा ज़ोर लगा देते हैं। तभी उनके गाने में पूरी मिठास और लोच आती है। यही हाल कर्मकला का है। कर्म छोटा किया जाये या बड़ा, यह तो अपनी-अपनी शक्ति पर निर्भर है।
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