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ताते भजन स्याम करि लीजै

tate bhajan syam kari lijai

बिहारिनिदेव

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बिहारिनिदेव

ताते भजन स्याम करि लीजै

बिहारिनिदेव

और अधिकबिहारिनिदेव

    ताते भजन स्याम करि लीजै।

    बिट कृमि भस्म सहज ताके गुन तबहिं कहा लै कीजै॥

    ऐसेहि घटत अंबु अंजलि लौं तैसै यह तन छीजै।

    जीवौ अल्प विकल्प परे घट घुन ज्यों दारु चरीजै॥

    यहै उपाइ सुन्यौ संतन पै हरि सेवत सुख जीजै।

    श्रवन कीरतन भक्ति भागवत नौ परकार तरीजै॥

    विषय बिकार बिरत रहि मन क्रम बचन चरन चित दीजै।

    'बिहारीदास' प्रभु सदा सजीवन बदन अँबुज रस पीजै॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 286)
    • संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
    • रचनाकार : बिहारिनिदेव
    • प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
    • संस्करण : जनवरी 1955

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