वर्षा वर्णन

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कल्लोल

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    जिण रुति बग पावस लियइ, धरणि मेल्हइ पाइ।

    तिण रुति साहिब वल्लहा, कोइ दिसावर जाइ॥

    जिण रुति बहु पावस झरइ, बाबहियउ बोलंत।

    तिण रुति साहिब वल्लहा, को मंदिर मेल्हंत॥

    प्रीतम कामणगारियाँ, थळ थळ बादळियाँह।

    घण बरसंतइ सूकियाँ, लूसूँ पाँगुरियाँह॥

    कप्पड़, जीण, कमाण गुण, भीजइ सब हथियार।

    इण रुति साहिब ना चलइ, चालइ तिके गिमार॥

    बाजरियाँ हरियाळियाँ, बिचि बिचि बेलाँ फूल।

    जउ भरि वूठउ भाद्रवउ, मारू देस अमूल॥

    धर नीली, धण पुंडरी, धरि गहगहइ गमार।

    मारू देस सुहामणउ, साँवणि साँझी वार॥

    बाबहियउ पिउ पिउ करइ, कोयल सुरँगइ साद।

    प्रिय, तिण रुति आळिंग रह्याँ, ताह सुँ किसउ सवाद॥

    डूँगरिया हरिया हुया, वणे झिंगोर्या मोर।

    इणि रिति तीनइ नीसरइ, जाचक, चाकर, चोर॥

    चोर मन आलस करि रहइ, जाचक रहइ, लुभाइ।

    राज्यँद, जे नर क्यउँ रहइ, माल पराया खाइ॥

    फौज घटा, खग दाँमणी, बूँद लगइ सर जेम।

    पावस पिउ विण वल्लहा, कहि जीवीजइ केम॥

    नदियाँ, नाळा, नीझरण, पावस चढिया पूर।

    करहउ कादिम तिलकस्यइ, पंथी पूगळ दूर॥

    अति घण ऊनिमि आवियउ, माझी रिठि झड़वाइ।

    बग ही भला बप्पड़ा, धरणि मुक्कइ पाइ॥

    पावस मास प्रगट्टिउं, जगि आणंद विहाय।

    बग ही भला जु बापड़ा, धरण मेल्हइ पाय॥

    जिण रुति बहु बादळ झरइ, नदियाँ नीर प्रवाह।

    तिण रुति साहिब वल्लहा, मो किम रयण विहाय॥

    च्यारइ पासइ घण घणउ, वीजळि खिवइ अगास।

    हरियाली रुति तउ भली, घर संपति, पिउ पास॥

    जिण दीहे पावस झरइ, वाबीहउ कुरळाइ।

    तिणि दिनकउ दुख वल्लहा, महँ क्यउँ सहणउ जाइ॥

    जिण दीहे पावस झरइ, समनेहाँ सुख होइ।

    तिणि दिन वयरी वल्लहा, सेज मुक्कड़ कोइ॥

    महि मोराँ मंडव करइ, मनमथ अंगि माइ।

    हूँ एकलड़ी किम रहउँ, मेह पधारउ माइ॥

    मेहाँ बूठाँ अन बहळ, थळ ताढा जळ रेस।

    करसणपाका, कण खिरा, तद कउ वलण करेस॥

    जिण दाहे वण हर धरइ, नदी खळक्कडइ नीर।

    तिण दिन ठाकुर किम चलइ, धण किम बाँधइ धीर॥

    काळी कंठळि बादळी वरसि मेल्हइ वाउ।

    प्री विण लागइ बूँदड़ी, जाँणि कटारी घाउ॥

    सावण आयउ साहिबा, पगइ विलंबी गार।

    ब्रच्छ विलंबी बेलड़याँ, नराँ विलंबी नार॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : ढोला मारू रा दूहा (पृष्ठ 123)
    • संपादक : रामसिंह, सूर्यकरण पारीक, नरोत्तमदास स्वामी
    • रचनाकार : कुशललाभ
    • प्रकाशन : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर
    • संस्करण : 2005

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