पूरन सुधा के घट-घट में अनेक जाके
puran sudha ke ghat ghat mein anek jake
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
Shivkumar Kediya
पूरन सुधा के घट-घट में अनेक जाके
puran sudha ke ghat ghat mein anek jake
Shivkumar Kediya
शिवकुमार केडिया 'कुमार'
और अधिकशिवकुमार केडिया 'कुमार'
पूरन सुधा के घट-घट में अनेक जाके,
लोयनि में लाज के तड़ाग सरसाने हैं।
मुख में विनोद के पयोद उमड़े ही रहै,
राम-रस-होद रोम-रोम लहराने हैं।
कहत 'कुमार' भाँति-भाँति के पुराने नये,
ग्रंथ कितनेक परे कंठ में न जाने हैं।
सत्य औ अहिंसा आदि अद्भुत हथ्यारन के,
गाँधी के कपार में अपार कारखाने हैं॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 583)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : शिवकुमार केडिया
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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