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यही तो सवाल है

yahi to saval hai

अनुवाद : सुरेश सलिल

नाज़िम हिकमत

अन्य

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नाज़िम हिकमत

यही तो सवाल है

नाज़िम हिकमत

और अधिकनाज़िम हिकमत

    दुनिया की सारी दौलत से पूरी नहीं हो सकती उनकी हवस—

    चाहते हैं बनाना वे ढेर सारी रक़म,

    उनके लिए दौलत के अंबार लगाने के लिए

    तुम्हें मारना होगा औरों को, ख़ुद भी मरना होगा दम-ब-दम।

    बेशक वे खुले आम ये कहते नहीं

    टाँगते हैं रंगारंग लालटेनें सूखी टहनियों से,

    सड़कों पर चमचमाते झूठ फैलवाते हैं

    पूँछें ढकी होतीं पूरी तरह उनकी सितारों से-पन्नियों से।

    देखो, बाज़ार में वे ढोल ढमढमा रहे;

    शेर से भिड़ा जवान, सिर-विहीन आदमी

    जलपरी—तंबुओं के पीछे अपने करतब दिखा रहे।

    गुलाबी घुटन्ने में कलाबाज़ दौड़ रहा तनी हुई रस्सी पर

    चेहरे उनके असली मेकअप की मोटी-मोटी परतों में, ढके हुए।

    झाँसापट्टी में उनकी आना है? या धता बताना है?

    तुम्हारे सामने यही तो सवाल है!

    झाँसे में आए; तो जियोगे ता-क़यामत

    और अगर गए तो मरना हर हाल है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : देखेंगे उजले दिन (पृष्ठ 142)
    • रचनाकार : नाज़िम हिकमत
    • प्रकाशन : मेघा बुक्स
    • संस्करण : 2003

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