वो लोग चाहते हैं बड़ी लंबी रात हो*

wo log chahte hain baDi lambi raat ho*

प्रांजल धर

प्रांजल धर

वो लोग चाहते हैं बड़ी लंबी रात हो*

प्रांजल धर

और अधिकप्रांजल धर

     

    बेचने का हुनर, हाज़मे का तरीक़ा,
    डकार पर क़ाबू, जीने का सलीक़ा

    वे बैठ गए मुलायम गद्देदार कुर्सी पर एक फ़ीट धँसते हुए
    उनके चेहरे पर रेड वाइन की लालिमा
    पिछली शाम का अनचाहा विस्तार है
    वार्डरोब में तमाम विज़िटिंग कार्ड
    दराज़ में ढेर सारे इंटरनेशनल डेबिट कार्ड, नाम-पते-फ़ोन नंबर
    फैंटेसी के अकुशल ख़तरों से पूरी तौर पर वाक़िफ़ वे
    उन्हें स्याही से प्यार है लिखने के लिए नहीं
    तमाम अच्छी चीज़ों पर उसे पोतने के लिए

    चारों तरफ़ बिखरे हैं उनके तंत्र को सँभालने वाले श्वेत वस्त्रधारी पिट्ठू
    इन्होंने उजली कामयाबी की अँधेरी सीढ़ियों पर चढ़ते चले जाने का
    अभ्यास किया बरसों; अब वे दक्ष हैं दक्ष
    रंगीन पट्टियों वाले चकत्तीदार कपड़े पहने लोगों की ईमानदारी को
    मुद्राशास्त्र की बेस्टसेलर किताबों में क़ैद कर देते ये लोग

    इनके घरों की रंगोलियाँ मनुष्यों के लिए नहीं,
    बैंक-बैलेंसों के स्वागत के लिए रची जातीं
    विदूषकों की टोलियाँ ख़तरों का तापमान नापने के लिए
    कोई मूल्यवान वस्तु या नकद पाकर रैलियों में शिरकत करतीं
    व्यवस्था को ही रात की कोख में धकेल देतीं

    जटिल गद्य में जैसे कविता की कोमल धार
    इस दुनिया में जैसे भयंकर गरीबी की मार
    फुटपाथवासी पर चढ़ी जैसे कोई अमरीकी कार
    रात के ग्लैमर से ऐसा उन्हें प्यार
    कि सबके जीवन को रात की ही तरह स्याह कर देते वे बारीकी से,
    उनकी इच्छा कि सबकी रातें बहुत लंबी हो जाएँ
    और उजाला नाचे उनके इशारों पर
    वे रोशनी के सारथी हैं, प्रकाश को हाँकते हुए
    उनकी कामना कि रोशनी बरसे उनके ही इच्छित परदों पर
    उनका विश्वास कि हर मनुष्य एक उपनिवेश है
    कि हर मनुष्य व्यवस्था का महज़ एक अंग
    और उनकी मान्यता 
    कि व्यवस्था उनकी चाकर एक वारांगना!
    _____________________
    *शबाब मेरठी के एक शे’र की एक पंक्ति से साभार, शे’र यूँ है : 

    कुछ लोग जिनके पास चराग़ों के ढेर हैं
    वो लोग चाहते हैं बड़ी लंबी रात हो

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रांजल धर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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