वसंत का आगमन

wasant ka agaman

पंकज प्रखर

पंकज प्रखर

वसंत का आगमन

पंकज प्रखर

और अधिकपंकज प्रखर

    पहली बार उसे देखा

    पहली बार की तरह

    जैसे हवा में दिन उगा हो

    पहली बार की तरह।

    पहली बार मैंने महसूस किया

    श्वेत बादलों की पदचाप को।

    पतली-सी धूप मुँडेर से टकराई

    और पहली बार की तरह

    आँगन में बिखर गई।

    पहली बार खिले अमलतास के फूल

    पहली बार किसी ने छेड़ा सितार

    खिल उठी निशा

    गूँज उठा विहाग।

    अरहर के पीले फूल

    नीले आसमान पर

    सिंधी की कढ़ाई जैसे

    हल्की-सी बदली

    जेठ की दुपहरी में

    छाँव की भरपाई जैसे

    अचानक छूकर गुज़री

    किसी की साँसों की मलयवाही सरसराहट

    और ज़ाफ़रानी सुबह से झाँकते हुए

    पहली बार मैंने महसूस किया

    वसंत का आगमन।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पंकज प्रखर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए