वह अपनी देह में लौट जाएगी

wo apni deh mein laut jayegi

गगन गिल

गगन गिल

वह अपनी देह में लौट जाएगी

गगन गिल

और अधिकगगन गिल

    वह उसे पाप की तरह चाहेगी

    वह उसे पुण्य की तरह चाहेगी

    किसी अनजान जगह के

    अनजान कमरे में

    वह करेगी उससे प्रेम अपने ख़याल में

    कि जैसे नींद में चलते-चलते

    चली गई हो वहाँ

    बेवजह, बिना बुलाए,

    कि जैसे सदियों में बैठी हो वह

    अपने भीतर उस जगह

    जहाँ रहते हैं दुस्स्वप्न

    इच्छाओं के पागल होने के इंतज़ार में

    वह उसे चाहेगी

    उस सपने की तरह

    जिसे देखा हो उसने

    हमेशा सिर्फ़ खुली आँखों से

    कि जैसे वह कंधा हो

    किसी बाँझ रोने के लिए

    जैसे चाहना कोई शाप हो,

    रुकने वाला विलाप हो

    या आत्मप्रलाप—

    वह उसे चाहेगी

    जैसे चाहना सुख से बचना हो

    और दुख से भी बचाव हो—

    वह उसे चाहेगी

    जैसे वह कोई

    लाइलाज रोग हो,

    जैसे कोई उतारे अपने होने पर से

    अपशकुन का टोना—

    वह उसे चाहेगी

    वह उसे चाहेगी

    पाप की तरह

    पुण्य की तरह

    और अपनी देह में लौट जाएगी

    गुम चोट की तरह।

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक दिन लौटेगी लड़की (पृष्ठ 116)
    • रचनाकार : गगन गिल
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1989

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