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उनके हिस्से के आँसू

unke hisse ke ansu

रंजना जायसवाल

रंजना जायसवाल

उनके हिस्से के आँसू

रंजना जायसवाल

और अधिकरंजना जायसवाल

    आख़िर किसने तय किया होगा

    आँसुओं का लिंग

    किसकी आँखों से बहना है

    और किसकी नहीं!

    भावों के आवेग को

    आख़िर किसने रोका होगा

    आख़िर किसने तय की थी सीमाएँ

    आख़िर किसने बाँधे थे ये बंधन

    सिर्फ़ बच्चों और औरतों के

    हिस्से में ही क्यों आए थे आँसू

    या मान लिया था औरों की तरह

    मासूम और कमज़ोर को ही हक है इसे बहाने का

    दर्द के अतिरेक से

    जब भी बहाने चाहे थे उन्होंने आँसू

    सारे बंधन को तोड़कर

    बहाने चाहे थे आँखों से…

    दुनिया ने हर बार

    यह कहकर रोक दिया था

    औरतों की तरह रोते हो!

    वह तो हर बात पर रोती है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : रंजना जायसवाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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