टाइम ऑफ़ कोरोना

time off korona

सौरभ सिंह क्रांतिकारी

सौरभ सिंह क्रांतिकारी

टाइम ऑफ़ कोरोना

सौरभ सिंह क्रांतिकारी

और अधिकसौरभ सिंह क्रांतिकारी

    हर दिशा, हर मोड़ पर

    तंग घर और रोड पर

    छत पर भी दालान में

    आँखों संग हर कान में

    घोर मायूसी छाई है

    विपदा ये कैसी आई है

    बाहर वायरस का प्रकोप है

    घरों में तंगी का शोक है

    आँखे किचन मे राशन ढूँढ़ती हैं

    कान घर में पड़े दिल के मरीज़ों की

    कराह को टालने की कोशिश कर रहे हैं

    बचत के नाम पर ग़रीब के

    पास बस किडनी है

    सरकारी फ़रमान उसे बेचकर

    घर में बंद रहने का है

    अमीरों ने हाथ धोते हुए

    वीडियो सोशल साइट्स पर डालकर

    फटी जेब में साबुन टटोलते

    मज़दूर को हाथ धोने और

    बेघरों को घर में रहने का ज्ञान देकर

    अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी निभा दी है

    मजबूर माँ ने अपने बच्चे की गुल्लक फोड़ ली है

    जिसमें पंद्रह रुपए का काला धन निकला है

    सरकार ने भी एक सौ एक रुपए की

    सरकारी मदद देने की घोषणा की है

    बच्चों ने डर से लड़ते हुए

    थालियाँ बजाकर फोड़ ली हैं

    सरकार अगली राहत में

    उन्हें कटोरे देने की तैयारी कर रही है

    जनता अब रात के आठ बजने से थरथराने लगी है

    डॉक्टर सुरक्षित एक्यूपमेंटस के नाम पर

    लोगों की बजाई तालियों से काम चला

    इलाज कर रहे हैं

    पलायन के सताए लोग घर-घर चिल्ला रहे हैं

    राज्य सरकारें उन्हें भेड़-बकरी समझ भगा रही हैं

    पर गर्व बड़ी चीज़ होती है

    सबको टाइम से परोस दिया गया है

    सेना के जवानों को

    ओले पीड़ित किसानों को

    दिहाड़ी मज़दूर जानों को

    बेरोज़गार नौजवानों को

    गटर के सफ़ाईकर्मियों को

    नीचों, जाहिलों, अधर्मियों को

    गर्व थोती संस्कृति पर

    गर्व रोती स्त्री पर

    गर्व बिलखती अर्थव्यवस्था पर

    गर्व ढोंगी, अंधविश्वासी, आस्था पर

    पर फिर भी हमको लड़ना है

    सवाल नहीं सहयोग करना है

    वो माँगे जो कुछ देना है

    मुँह से ऊफ़ तक नहीं कहना है

    चारों ओर हताशा है,

    बस ख़ुद से ही आशा है

    संघर्ष, सदा ये जीवन है

    डटे रहने में ही नवजीवन है

    स्रोत :
    • पुस्तक : सोया हुआ शहर (पृष्ठ 49)
    • रचनाकार : सौरभ सिंह क्रांतिकारी
    • प्रकाशन : अधिकरण प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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