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ठेंगे से...

thenge se. . .

कौशल किशोर

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कौशल किशोर

ठेंगे से...

कौशल किशोर

और अधिककौशल किशोर

    आओ नाचे, गाएँ

    मुँह लटकाएँ, कमर हिलाएँ

    डाँस करें

    वह कहती है

    और लगती है गाने कि

    आओ डाँस करें, थोड़ा रोमाँस करें

    मैं कहता हूँ अभी इसका समय नहीं है

    वह मुँह बिचकाती है

    हूँ, समय कभी किसी का नहीं होता

    उसे अपने अनुसार ढालना होता है, जीना होता है

    मैं समझाता हूँ

    यह लाक डाउन का समय है

    सब घरों में बंद हैं

    बंद रहना ही जीवन है

    ठेंगे से, मैं तो सदियों से बंद रही हूँ

    नहीं स्वीकारती

    यह मेरा जीवन है

    चाहे अकेले उड़ूँ या तुम्हारे साथ या कोई और हो

    या चाहे उड़ूँ

    यह भी तो गिरफ़्तार होना है

    अपने मन के पिंजड़े में

    नहीं, नहीं, मुक्त होना है

    उस अभिशाप से

    जिसे रोज़-रोज़ नए विशेषण से सुसज्जित करते हो

    देखता हूँ उसके चेहरे पर ख़ौफ़ नहीं

    अंदर का, बाहर का

    उसके डैने खुल गए थे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कौशल किशोर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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