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तब एक कविता लिखी गई होगी

tab ek kawita likhi gai hogi

शरद बिलाैरे

अन्य

अन्य

शरद बिलाैरे

तब एक कविता लिखी गई होगी

शरद बिलाैरे

और अधिकशरद बिलाैरे

    तब

    रात्रि के देवता ने करवट ली होगी

    और आसमान में

    एक साथ हिनहिनाए होंगे

    चाँदी के घोड़े

    तब

    एक बैल शरीर झटक कर खड़ा हो गया होगा

    और एक ने

    सिर्फ़ हवा को सूँघ कर ही

    गर्दन नीची कर दी होगी

    तब एक चूल्हा धुँधुआया होगा

    और एक लकड़ी

    मुँह बिदकाए बिना गुटक गई होगी

    लोहे का कसैला स्वाद

    तब

    एक बीज ज़मीन के भीतर तक गया होगा

    और एक सपना अँकुराया होगा

    नींद से एकदम बाहर

    तब एक आदमी ने आकाश की तरफ़ देखा होगा

    और एक औरत

    धरती में छुपा आई होगी

    अपने बालों का मैल

    तब

    एक कविता लिखी गई होगी

    एक कौआ उड़ा होगा

    और एक गाय की पीली दाढ़ में

    भर गया होगा

    नरम घास का रस।

    स्रोत :
    • पुस्तक : तय तो यही हुआ था (पृष्ठ 7)
    • रचनाकार : शरद बिलौरे
    • प्रकाशन : परिमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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