कई कविताएँ तो मैंने इसलिए नहीं लिखी
कि इतना सच स्वीकार करने का
मेरे अंदर सामर्थ्य ही नहीं रहा
मैं किसी कविता में यह कैसे लिखता
कि जब उस लड़की के साथ रहता हूँ
जिसके लिए तड़पता हूँ
तब मुझे किसी और लड़की की याद आने लगती है
मैं अपनी बदचलनी कैसे लिखूँ कविता में?
मैने हर लड़की के द्वारा ठुकराए जाने को
एक समय बाद
कविता लिखने की सामग्री से ज़्यादा
कुछ नहीं माना है
यहाँ तक कि पिता के मरने को भी
मैं कविता-सामग्री मानता हूँ अब
मुझे दुख भी कविता का सामान नज़र आता है
ख़ुशी भी
हर चीज़ मेरे लिए लिखने के सामान से ज़्यादा
शायद ही कुछ हो
मैं चाहता हूँ यह सच न हो
पर शायद ऐसा ही है
मैं ढूँढ़ता हूँ मेरे जीवन में अगला हादसा क्या है
हादसों की मस्तिष्क में रूपरेखा बनाता हूँ
और उन रूपरेखाओं पर कविता लिखता हूँ
मैं एक मशीन हो चुका हूँ
जिसके लिए जीवन का औचित्य
कविता लिखने जैसा छोटा और बेहूदा काम हो गया है
अगर मैं किसी को दोस्त कहता हूँ
तो कहीं बहुत गहरे में जानता हूँ अपने भीतर
कि यह एक चरित्र है जिसे मुझे लिखना है
जिनमें मुझे कोई पात्र नहीं मिलता
उनसे चुपचाप दूर कट लेता हूँ
मुझे धूर्त लोग पसंद आते हैं
क्योंकि उनमें शेड्स होते हैं
जो कविता को रँग देते हैं
(मेरे लिए कविता के रंगों से ज़्यादा
ज़िंदगी कुछ भी नहीं बची है)
मुझे सीधे लोगों पर दया आती है
उनका इस दुनिया में कुछ नहीं हो सकता
वे स्लो सुसाइड की राह पर आगे जा चुके हैं
धूर्त पैरासाइट होते हैं
और यह दुनिया पैरासाइट्स के लिए डिज़ाइन की गई है
कई बार तो मैं स्वयं को
किसी मनोचिकित्सक के लिए बहुत अच्छा केस मानता हूँ
फिर सोचता हूँ वह भी कितना अच्छा केस होगा
मेरे कविता लिखने के लिए
मुझे लगता है कि यह दुनिया सिर्फ़ एक केस है
किसी मनोचिकित्सक का इंतज़ार करती हुई
और इसे एक अच्छा डॉक्टर नहीं मिल रहा
दुनिया को इतना कुरूप बनाने की कोशिश
पागल तो नहीं कर सकते
यह सिर्फ़ बेहद क्रूर लोगों द्वारा संभव है
और यह बात आज तक
मैं किसी कविता में
ढंग से नहीं लिख पाया...
- रचनाकार : मानस भारद्वाज
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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