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शिकायत

shikayat

मनीषा जोषी

मनीषा जोषी

शिकायत

मनीषा जोषी

और अधिकमनीषा जोषी

    कैलिफ़ोर्निया की बंगालनों को

    शिकायत रहती है हमेशा

    नहीं मिलती अच्छी

    यहाँ मछलियाँ

    बंगाल जैसी।

    बड़े-बड़े सुपर मार्केट में

    मिलती हैं यहाँ मछलियाँ

    बड़े-बड़े समंदरों की

    पर इनमें कहाँ वह स्वाद

    जो हुआ करता था

    उस हिल्सा में

    जो गाँव के पास से गुज़रती

    उस छोटी-सी नदी में

    जाया करती थीं हर साल

    ख़ूब सारे अंडे देने।

    इन बंगालनों के बैकयार्ड में

    बने हुए हैं बड़े स्विमिंग पूल

    पर काश होता यहाँ

    मछली का एक छोटा तालाब भी

    जो था कभी गाँव में

    घर के ठीक पीछे ही।

    रसोई है यहाँ बड़ी पर नहीं है यहाँ

    साड़ी की कोर से बँधा हुआ

    चाबियों का वह गुच्छा

    जिसकी आवाज़ चलते-उठते

    खनक उठे पूरे घर में।

    नहीं हैं यहाँ वे सुबहें

    जब सब्ज़ीवाला आए

    लेकर माथे पर कमल ककड़ी का ढे़र

    जब सुखाई जा सके हिल्सा छत पर

    कमल की जड़ों के साथ।

    कभी नहीं आतीं यहाँ वे दुपहरें

    जब इनकी चौकी पर आए

    कोई भूला-भटका साधु

    जो इन्हें माँ कहकर पुकारे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनीषा जोषी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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