Font by Mehr Nastaliq Web

स्फिंक्स

sphinks

अलेक्सांद्र गेरोव

अन्य

अन्य

और अधिकअलेक्सांद्र गेरोव

    भाव, स्वप्न, इच्छाएँ रहतीं एक मनुज के पास

    और एक सौग़ात सौम्यता की सुंदर है उस पर

    हमें चाहिए प्रमुदित होना अपने उर के भीतर

    उसे कामना है वह तैरे सुखसागर के ऊपर।

    किंतु सिखाया हमें गया वह सबसे अच्छा होता

    अपने ऊपर संयम और नियंत्रण जो रख पाता

    बिना किए विश्राम किया करता जो जाँच-परीक्षण

    जब तक दुःख के कारण भावों का नाश नहीं हो जाता।

    नीले आसमान के नीचे मनुज खड़ा एकाकी

    उसकी माँसपेशियाँ सारी ये सिकुड़ेंगी तब तक

    बदल नहीं जाता है उसका मनुज रूप पत्थर में

    औ' स्फिंक्स नहीं बन जाता है वह मानव जब तक।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बल्गारियाई कविताएँ (पृष्ठ 76)
    • संपादक : रमेश कौशिक
    • रचनाकार : वेसेलिन हान्चेव
    • प्रकाशन : पराग प्रकाशन
    • संस्करण : 1985

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY