Font by Mehr Nastaliq Web

मुहल्ले का नारियल पेड़

muhalle ka nariyal peD

विजय सिंह

विजय सिंह

मुहल्ले का नारियल पेड़

विजय सिंह

और अधिकविजय सिंह

    मुहल्ले में एक अकेला हँसता-झूमता

    नारियल का पेड़

    इस समय उदास है

    उदास है मेरा मन

    बचपन में मैंने सुना था इसकी मिट्टी यह नहीं है, यह अपना समुद्र, अपना आसमान और अपनी मिट्टी छोड़कर

    मुहल्ले की मिट्टी में

    अँकुराया था।

    जब इसके अँकुए यहाँ फूटे थे

    तब मुहल्ले में कितने घर थे और मुहल्ले के कितने लोगों ने पतवार-सी लहराती-इतराती इसकी पत्तियों को

    आसमान में चप्पू की तरह चलते देखा था?

    यह सब देखना कितना अद्भुत, कितना विस्मयकारी रहा होगा

    जब अनंत आकाश

    नारियल पेड़ की पत्तियों के लिए

    अनंत समुद्र बन गया होगा

    क्या उस समय इसकी स्मृतियों में समुद्र का पानी ज्वार भाटे की तरह उठ खड़ा हुआ होगा या फिर

    खारे पानी के स्वाद के लिए इसका

    मन ललचाया होगा

    मैं भूला नहीं हूँ बचपन के अपने स्वप्न से भरे दिनों को जब हम मुहल्ले के दोस्त इसकी जड़ों के पास बैठकर

    कंची और पट्ठू का खेल खेला करते, हँसते झगड़ते और रोते

    फिर भी हम साथ बने रहते

    बचपन के खेल में पसीने से तर तर हम अक्सर सिर उठाकर

    आसमान में उड़ती चिड़ियों से बतियाती इसकी पालदार पत्तियों को देखा करते और अपने आप को

    नारियल पेड़ की तरह

    आसमान में उड़ते पाते थे

    यह वह दिन थे

    जब हम बिना पंख के

    आसमान में उड़ा करते थे

    और नारियल के पेड़ को

    अपने जीवन के पास पाते थे

    मुझे याद है दास काकू का घर

    जिसे लोग नारियल पेड़ की गली का पहला मकान के नाम से पहचानते थे

    नारियल पेड़ की गली के आगे हमारे घर के बाजू से बहुतों के घर थे

    जैसे हफीक चाचा, रथ मास्साब,फोकटू धोबी, श्रीवास्तव भैया, नाऊ ठाकुर और जैन किराना दुकानवाले और अन्य लोग रहते थे

    सबमें प्रेम, आत्मीयता

    और जीवन का अटूट रिश्ता था

    मुख्य डाकघर के पोस्टमैन जानते थे

    नारियल पेड़ की गली कहाँ है

    और वहाँ कौन कौन रहता है

    दूर गाँव, शहर से चिट्ठी लिखनेवाले हमारे दोस्त रिश्तेदार हमारे पते में, हमारे नाम के साथ नारियल पेड़ की गली लिखना कभी भूलते नहीं थे

    और तो और दूसरे शहर से रहे मेहमानों को हमारे घर पहुँचने के लिए

    कभी भटकना नहीं पड़ा

    वे घर पहुँचते और कहते

    नारियल के पेड़ से जानते हैं आपके घर को

    हमारे जीवन में नारियल का पेड़ था

    और हम इसके जीवन में

    वे दिन नारियल पेड़ की तरह झूमते थे और इसकी मिठास की तरह था हमारा जीवन

    यह क्या

    नारियल का पेड़ अब भी मुहल्ले में है लेकिन दास काकू का घर

    अब नारियल पेड़ की गली के नाम से पहचाना नहीं जाता

    दास काकू कहाँ गए

    किसी को नहीं मालूम

    उनके घर में थामस जी रहते हैं उनका पता है क्वा. . 45 टाटा स्काई के बाजू में

    हफीक चाचा ने भी मुहल्ला छोड़ दिया है, रथ अंकल रहे नहीं

    फोकटू धोबी का घर

    डेली निड्स के नाम से चमचमा रहा है वहाँ पेट में हाथ फेरते

    कोई पंडया जी बैठते हैं

    श्रीवास्तव भैया हैं लेकिन बिस्तर में वे उठ बैठ नहीं सकते

    उनके बच्चे बाहर नौकरी करतें हैं

    उन्होंने उनकी देखभाल के लिए एक नौकर छोड़ रखा है

    जैन किराना दुकान बहुत पहले बंद हो चुकी है

    उस जगह और उसके बाजू से हर घर के दरवाज़े पर खुल गई है

    सजी-धजी दुकानें और वहाँ रहने वाले घर के सामने से नहीं

    पीछे से आते जाते हैं

    समझ में नहीं आता मुहल्ले में यह कैसी हवा चली है

    कि हर घर के दरवाज़े से खुलता रास्ता सिर्फ़ बाज़ार की ओर दौड़ता है

    जहाँ केवल बेचने वाले और ख़रीददार दिखाई पड़ते हैं

    अपना कोई चेहरा

    यहाँ दिखता नहीं

    दुआ सलाम में भी खिंच गई है

    एक लकीर

    मुहल्ले के बच्चों का भी कुछ पता नहीं चलता वे कब हँसते हैं, कब रोतें हैं, कब खेलते हैं, कब जाते हैं स्कूल

    और कब लौटते हैं घर

    उनको मालूम भी नहीं

    कि मुहल्ले में एक नारियल का पेड़ है

    इसमें रह रहकर काँपता है

    मुहल्ले में रहने वाले

    मुझ जैसे का जीवन

    यह कैसी छटपटाहट है, यह कैसी भागदौड़ है, यह कैसी उदासी है

    नारियल का पेड़

    आज भी मुहल्ले में है

    लेकिन

    जिसे कोई देखना नहीं चाहता।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विजय सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY