अलेक्ज़ेण्ड्रिया निवासियों की भीड़
क्लिओपेट्रा के बच्चों को देखने आई है,
सीज़रिओन और उसके छोटे-छोटे भाइयों को,
अलेक्ज़ेण्डर और टोलेमी, जो पहली बार
सैनिक समारोह में रंगशाला ले जाए जा रहे हैं।
अलेक्ज़ेण्डर— अरमीनिया और मीदिया और
पार्थियान्स का
शाह कहलाता है,
टोलेमी— किलीकिया, सीरिया और फिनीक का शाह।
सीज़रिओन ज़रा आगे है,
लाल रेशमी कपड़ों में,
गले में फूलों की माला,
मणियों और नीलम का दुहरा कमरबंद;
जूते सफ़ेद रिबन से बँधे
जिन पर गुलाबी मोतियों का काम।
वह अपने भाइयों से कुछ बड़ा है
इसलिए शहंशाह कहलाता है।
अलेक्ज़ेण्ड्रिया निवासी सब समझते हुए—
इस खेल-तमाशे में रस ले रहे हैं।
वातावरण सरगर्म और काव्यमय,
नीलाकाश, उजला नीला,
रंगशाला में हर तरफ कमाल दिखाने वालों की धूम,
दरबारियों की शान-शौक़त तो सुबहान अल्ला,
सीज़रिओन था कि सरापा हुस्नोअदा
(क्लिओपेट्रा का पुत्र, लेगास-पुत्रों का रक्त);
अलेक्ज़ेण्ड्रिया के निवासियों की भीड़ उमड़
पड़ी थी,
लोग मज़ा ले रहे थे, कभी जय-जय-कार करते,
कोई ग्रीक भाषा में कोई मिस्री में, तो कोई
हिब्रू में—
अवसर ही इतना मज़ेदार था—
लेकिन असलियत सब समझते थे,
इन बादशाहों की और इनकी बादशाहत की।
- पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 64)
- संपादक : वंशी माहेश्वरी
- रचनाकार : सी. पी. कवाफ़ी
- प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
- संस्करण : 2020
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