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समय तीन टुकड़ी

रोशन जनकपुरी

अन्य

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रोशन जनकपुरी

समय तीन टुकड़ी

रोशन जनकपुरी

और अधिकरोशन जनकपुरी

    बूढ़

    समयकेँ घून

    खा जाइ छै सबकेँ

    कतबो करी उपाय

    कतबो करी दम्भ

    साँझ थाकल, ठेहिया जाइत अछि

    शिशु

    अन्हार रातिक

    द्वन्दसँ भरल

    कोनो कसमसाइत राति

    मोहक भुजाइत अछि

    फूटैत अछि एकटा भोर

    जे खिलखिलाइ छै

    लुचखाँइर जकाँ

    लुचलुच सेहो करैत अछि

    अकाशमे

    सूर्यक नयनमे

    आशा भरि जाइत अछि।

    युवा

    समय

    गतिशील अछि,

    सब किछु सिरजल जा रहल अछि

    समय जवान अछि

    एहन नहि भऽ सकैये

    जे, मात्र सुन्दर रचल जाय,

    एकरा लेल

    कियै नहि लड़ऽ पड़य।

    स्रोत :
    • पुस्तक : समय गीत (पृष्ठ 73)
    • रचनाकार : रोशन जनकपुरी
    • प्रकाशन : मैथिली विकास कोष, जनकपुर
    • संस्करण : 2013

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