रोहित वेमुला के नाम

rohit wemula ke nam

सौम्य मालवीय

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रोहित वेमुला के नाम

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और अधिकसौम्य मालवीय

     

    मैं औपचारिकताएँ लिखना भूल गया। ख़ुद को मारने के मेरे इस कृत्य के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है। किसी ने मुझे ऐसा करने के लिए भड़काया नहीं, न तो अपने कृत्य से और न ही अपने शब्दों से। ये मेरा फ़ैसला है और मैं इसके लिए ज़िम्मेदार हूँ। मेरे जाने के बाद मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए... —रोहित वेमुला 

    एक दोस्त की तरफ़ से कुछ और औपचारिकताएँ... 

    रोहित,
    आओ माफ़ करें,
    दुःख, दुःख, दुःख 
    की इस घड़ी में माफ़ करें 
    उन सबको 
    जो नाक़ाबिले माफ़ी हैं!

    अवसाद और अकेलेपन 
    की समूची गहराई को  
    उतार लें सीने में और माफ़ करें 
    आँखों में बसाकर आहत सन्नाटे,
    बालों में भर कर सुदूर तारों की धूल,
    उँगलियों के पोर-पोर पर सजाकर ख़ून की बूँदें, 
    और माथे पर लगाकर अलकतरे का लेप,
    माफ़ करें! माफ़ करें! माफ़ करें!

    माफ़ करें उन्हें जो देश को 
    बाबाजी का लोटा समझते हैं 
    माफ़ करें उन्हें जो न्याय को 
    कानून का सोंटा समझते हैं
    माफ़ करें उन्हें जिन्हें रंगों से डाह है 
    माफ़ करें उन्हें जिन्हें लहू की चाह है 
    माफ़ करें उन्हें जो सत्ता के मद में अभुआए हुए हैं 
    माफ़ करें उन्हें जो अपने ही क़द में बिलाय हुए हैं
    माफ़ करें मन्मथनाथों की मनुसाई को
    माफ़ करें पुंडरीकों की प्रभुताई को 
    माफ़ करें उन्हें जो बिकास का बल्लम घुमा रहे हैं 
    माफ़ करें उन्हें जो मज़हब का च्यूंगम चबा रहे हैं
    माफ़ करें उन्हें जो तेज़ाब को तीर्थोदक समझते हैं 
    माफ़ करें उन्हें जो कालिख को विद्योतक समझते हैं 
    माफ़ करें मनु के आत्मजों को 
    माफ़ करें वेदों के मग़ज़चटों को   
    माफ़ करें उन्हें जो प्रकृति पर मुक़द्दमे की मिसिल पर बैठे हैं 
    माफ़ करें उन्हें जो गंगा की कोख से निकली सिल पर बैठे हैं
    माफ़ करें असहनीयता और अमर्ष को
    माफ़ करें वितर्कों के विमर्श को
    माफ़ करें गांधी के हत्यारों को 
    माफ़ करें अंबेडकर के गुनहगारों को 
    माफ़ करें पूरी नेकदमी के साथ, 
    हिंसा और प्रतिकार से परे, 
    एक आदिम तितिक्षा से भरकर माफ़ करें!

    माफ़ करे इन सबको
    वह स्वाभिमानी सिलाई मशीन और तनकर खड़ा हुआ झाड़ू,
    वह नींद से भारी वर्दी एक सुरक्षा गार्ड की,
    वह सौर-ऊर्जा से चलने वाला मतवाला पंखा
    वह मोहल्ले भर का साझा फ्रिज और अलगनी पर टँगे हुए कपड़े 
    वह दोस्त चाँपाकल, 
    वह आइना जिसने सहेज ली तुम्हारी दार्शनिक गंभीरता, बिजली के तार,
    पानी गरम करने वाला रॉड, और रौशनी से बझे हुए परदे, 
    वह एकांतमय बचपन, उमा अन्ना का कमरा,
    फ़ेलोशिप के पैसे और रामजी का क़र्ज़, 
    सितारे, छायाएँ, नक्षत्र, आकाशगंगाएँ 
    वे शब्द जो लिखे गए और जो नहीं लिखे गए 
    वह आख़िरी ख़त, वे दूसरी दुनियाएँ 
    ये सभी चीज़ें अपनी पूरी वस्तु-सौजन्यता, 
    अपने पूरे आत्माभिमान के साथ,
    बिना कोई दोख मढ़े, बिना कोई अभियोग लगाए, 
    उन की आँखों में आँखें डाल कर माफ़ करें!!

    हम दुःख और ग़ुस्से की उस इन्तेहाँ पर खड़े हैं रोहित 
    जहाँ माफ़ करना ही प्रतिशोध लेना है!
    आओ उन्हें यूँ माफ़ करें कि उनके सीनों पर साँप लोट जाएँ 
    आओ उन्हें यूँ माफ़ करें कि उन्हें अहसास हो कि 
    वे हमारे शत्रु नहीं महज़ एक रुकावट हैं
    (और हमें उनके लिए खेद है)
    आओ उन्हें यूँ माफ़ करें कि उन्हें यह समझ आए कि, 
    किसी चीज़ के लिए लड़ना किसी चीज़ के ख़िलाफ़ लड़ने से कहीं बड़ा होता है
    आओ उन्हें यूँ माफ़ करें कि वे बौखला उठें, 
    उन्हें मालूम हो कि हम रेत के बोरे नहीं जिन पर वे निशानेबाज़ी का अभ्यास करें,
    उन्हें पता चले कि हम जिस तम्बू को उखाड़ फेंकना चाहते हैं वे उसमें लगे मामूली से पैबंद भर हैं 
    आओ उन्हें यूँ माफ़ करें कि उन्हें जो अभीप्सित है वह हमसे न मिले 
    उन्हें हमारी फ़राख़दामनी का पता चलने दो,
    आओ उन्हें ईसा के ढले हुए हाथों की करुणा, 
    तुम्हारे कटुतारहित आख़िरी शब्दों की उदात्तता  
    और तुम्हारे सपनों की मासूमियत से भर कर सदा के लिए माफ़ कर दें 

    रोहित आओ तुमको माफ़ करें कि तुम चले गए... 
    आओ ख़ुद को माफ़ करें खुदी हुई ज़बानों और खोखली आत्माओं के लिए
    आओ ख़ुद को माफ़ करें कि तुम हम जैसों से छले गए 
    रोहित हम बेचैन हैं कि हमारे संघर्षों को तुम्हारे 'सुसाइड नोट' जितनी विराटता मिले
    और इसी बेचैनी से भर कर हम माफ़ करते हैं उन्हें ताकि वे शर्मिंदगी से गड़ जाएँ,
    ताकि तुम्हारी मौत वह शून्य बने जिसके बाद घनात्मक संख्याएँ शुरू हो सकें 
    हर गिनती में गूँजे तुम्हारा नाम, 0(रोहित), 1(रोहित), 2(रोहित), 3 (रोहित)... 

    रोहित हम शर्मिंदा हैं, शर्मिंदा हैं, 
    हाय हमें माफ़ करो, माफ़ करो, माफ़ करो...

    स्रोत :
    • रचनाकार : सौम्य मालवीय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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