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राति आ दिन

rati aa din

सुस्मिता पाठक

अन्य

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सुस्मिता पाठक

राति आ दिन

सुस्मिता पाठक

और अधिकसुस्मिता पाठक

    एकटा सम्पूर्ण राति

    हमरा आँखिमे उगल अछि

    एहि रातिक सम्पूर्ण विस्मय-आतंक

    हर्ष-विषाद, सुख-दुख

    सब किछु जेना आँखिक कोरपर

    राति भरि टहलैत रहल अछि

    एहि टहलानमे राति भरि

    हमरा भीतर रिक्तता छोड़ि किछु नहि रहल

    एकटा अतृप्त आकांक्षा

    मोनमे जागले रहल राति भरि

    एकटा सम्पूर्ण दिन

    हमरा आँखिमे उगल अछि

    एहि दिनक सम्पूर्ण उल्लास-आकांक्षा

    प्रकाशक स्वर्णाभ किरण-स्रोत

    दिन भरि दैत रहल

    रातिक लेल उलहन-उपराग

    मोनमे विराग नहि, राग आनब

    आब गायब मुक्ति-गीत

    गूनब बूनब मुक्तिक स्वप्नजाल

    जन-जनक मुक्ति लेल

    राग-ताल-लयमे प्रखर-मुखर गीत

    यैह टा स्वाभाविक गति रहत हमर

    रातिक सभटा अन्हारकेँ

    दिनक सूर्य हमर गीड़ि लेत

    जन-जनमे आनत चेतना

    यैह प्रकाशक अक्षय-स्रोत।

    स्रोत :
    • पुस्तक : परिचिति (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : सुस्मिता पाठक
    • प्रकाशन : किसुन संकल्प लोक
    • संस्करण : 1997

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