राष्ट्रकवि साधुता की ओर बढ़ रहे हैं

rashtykavi sadhuta ki aur badh rhe hain

मनोज मोहन

मनोज मोहन

राष्ट्रकवि साधुता की ओर बढ़ रहे हैं

मनोज मोहन

और अधिकमनोज मोहन

    राष्ट्रकवि साधुता की ओर बढ़ रहे हैं

    यह उत्तर जीवन है उनका

    अनुपस्थित देह में

    चौक-चौराहे, विद्यालयों-महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों में

    पत्थर-शरीर मूर्तिमान हो रहे हैं

    कश्मीर से कन्याकुमारी तक की लड़ाई में

    वे आज अस्त्र हैं

    कल तक वह राष्ट्र के कवि थे

    स्वतंत्रता की लड़ाई के ध्वजवाहक थे

    आज वह जाति के शीर्ष कवि,

    हिंदुत्व के ओज के कवि और सनातनता के प्रतीक रूप में

    अवतरित हो रहे हैं

    यह उनका उत्तर-जीवन है

    इस अवतरण के अवसर पर सत्ता उनके साथ है

    जनता निर्वाक् है

    सभासद प्रसन्न हैं

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज मोहन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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