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फूल

phool

अनुवाद : लक्ष्मीधर मालवीय

पंखुड़ी छने पर नम लगती है

लगता है रंग भीतर से बाहर रिस कर आता

फूल में झाँकने पर दिखलाई देती है गहरी घाटी

फूल के बीचों-बीच उगे रोएँ

लगता है अभी बोल पड़ेगा लगती हुई कोई बात

समझ में नहीं आता इसका करूँ क्या

एक पंखुड़ी मुँह में डालता हूँ तो

उसकी ज़रा-सी खटास से दिमाग़ हो जाता है ख़ाली

मास्टर कहते हैं फूलों के नाम याद करो

पर मैं नहीं करना चाहता याद

खेतों के बीच बड़े मैदान में खड़े हो

खड़े होने के सिवा और कुछ नहीं करना चाहता

नंगे पैर तलवा चुनचुनाता है

घठ्ठों तक घुस जाता है सूरज

आती है हवा की साँय-साँय गंध और स्वाद

आदमी का नहीं चलता काम किए बिना काम

फूल सिर्फ़ खिलता है रहता है जीवित

स्रोत :
  • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 58)
  • संपादक : वंशी माहेश्वरी
  • रचनाकार : शुन्तारो तानीकावा
  • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
  • संस्करण : 2020
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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