पीर मेरी कर रही गमगीन

peer meri kar rahi gamgin

वीरेंद्र मिश्र

वीरेंद्र मिश्र

पीर मेरी कर रही गमगीन

वीरेंद्र मिश्र

और अधिकवीरेंद्र मिश्र

    पीर मेरी कर रही गमगीन मुझको

    और उससे भी अधिक तेरे नयन का नीर, रानी

    और उससे भी अधिक हर पाँव की ज़ंजीर, रानी

    एक ठंडी साँस की डोरी मुझे बाँधे

    बंधनों का भार तेरा प्यार है साधे

    भार अपना कुछ नहीं, देखें अगर उनको

    जा रहे जो मौन पर्वत पीठ पर लादे

    भूल मेरी कर रही गमगीन मुझको

    और उससे भी अधिक तेरा सजल मन-फूल, रानी

    और उससे भी अधिक सब की डगर का शूल, रानी

    है प्रणय-पथ में प्रलय पहले, सृजन पीछे

    प्राण अपने चल रहे आगे, नयन पीछे

    हम चले ही क्या ज़रा देखें अगर उनको

    नापते हैं जो धरा पहले, गगन पीछे

    प्यार मेरा कर रहा गमगीन मुझको

    और उससे भी अधिक सुनसान हर त्यौहार, रानी

    और उससे भी अधिक सबकी व्यथा का भार, रानी

    गीत है मैंने सदा संघर्ष का गाया

    राजरानी-सा तुझे मैं रख नहीं पाया

    जो ज़माने के बनाने में सदा मिटते

    क्या करूँ मुझ पर पड़ी उनकी सघन छाया

    गीत मेरा कर रहा गमगीन मुझको

    और उससे भी अधिक तेरी रुआँसी प्रीति, रानी

    और उससे भी अधिक जर्जर जगत की नीति, रानी

    है अमावस, घिर रहा है मेघ काला

    किंतु सारा तम ख़त्म है, साथ तेरे साथ, रानी

    काट देंगे हम अँधेरी ज़िंदगी की रात, रानी

    स्रोत :
    • पुस्तक : कविता सदी (पृष्ठ 364)
    • संपादक : सुरेश सलिल
    • रचनाकार : वीरेंद्र मिश्र
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 2018

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