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पाताल से प्रार्थना

patal se pararthna

अनुराधा सिंह

अन्य

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अनुराधा सिंह

पाताल से प्रार्थना

अनुराधा सिंह

और अधिकअनुराधा सिंह

     

    सिरसा, पटियाला और करनाल में
    बच्चियाँ कुओं में गिर पड़ी हैं
    हालाँकि उन्हें जन्म लेने में कुछ घंटे दिन या महीने
    शेष थे अभी

    सबसे बड़ी की उम्र
    दो घंटे बारह मिनट है
    दादी जन्म के दो घंटे बाद पहुँच पाई थी अस्पताल
    इस बीच पी चुकी थी वह दूध एक बार
    गीली कर चुकी थी कथरी दो बार
    लग चुकी थी माँ की छाती से कई-कई बार
    अब कुएँ भर में सिर्फ़ वही पहने है
    एकपाड़ घिसी चादर
    चूँकि जन्म ले चुकी थी मरते वक़्त
    अब उसे ही है आवरण का अधिकार

    सिरसा, पटियाला और करनाल में
    बच्चियाँ कुओं से बाहर आकर
    जन्म लेना चाह रही हैं
    शेष इच्छाएँ गौण हैं
    सबसे पहले उन्हें बाक़ायदा पैदा किया जाए, ससम्मान

    उनकी नालें जुड़ी हैं अब भी नाभि से
    वे उन्हें रस्सी बना कुएँ से बाहर आना चाह रही हैं
    वे उन्हें आम की शाख पर डाल झूला पींगना चाह रही हैं
    वे उन रस्सियों पर गिनती से कूदना चाह रही हैं

    सिरसा, पटियाला और करनाल में
    कुछ बच्चियों के फेफड़े नहीं बने अभी
    हवा और रोशनी की प्रार्थना गा रहीं हैं समवेत
    जबकि उन्हें पता है
    आसमानों का ईश्वर पाताल के बाशिंदों की नहीं सुनता
    कुछ के पाँव नहीं बने अभी, कुछ की उँगलियाँ
    कुओं से बाहर आ पंक्तिबद्ध
    अस्पतालों में जाना चाहती हैं
    आँखें अक्सर बंद हैं सबकी
    फिर भी देखना चाहती हैं सोनोग्राफ़ी मशीनें
    ऑपरेशन थिएटर, फ़ोरसेप्स और नश्तर
    छूना चाहती हैं ग्लिसरीन के इंजेक्शन,
    सीसा, गला घोंटने वाली उँगलियाँ
    करना चाहती हैं ज़रा ताज्जुब
    कितना लाव-लश्कर खड़ा किया है रे!
    एक बस हमारी आमद रोकने के लिए
    इस दुनिया ने।
    _____________
    संदर्भ : साल २००६ में कन्या भ्रूणहत्या ज़ोर-शोर से हिंदुस्तान भर में जारी थी, पंजाब के पटियाला करनाल तथा हरियाणा के सिरसा में कुछ निजी अस्पताल दर्ज हुए जिनके पिछवाड़े सोद्देश्य खोदे गए कुओं में से सैंकड़ों की तादाद में अजन्मे कन्या भ्रूण और नवजात बच्चियाँ बरामद हुईं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुराधा सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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