पंगत

pangat

तनी हैं क़नातें चारों ओर सींचा जा रहा है खेत पर पानी

हज़ार-डेढ़ हजार लोगों की पंगत

जी-जान से जुटे हैं हलवाई दोना और पत्तल के लगे हैं ढेर

खेत के एक कोने को छोड़ बिछ रही है सब और बिछावन

चूल से निमंत्रण है सबका किसी के यहाँ नहीं जलेगा चूल्हा

मृत्यु का महाभोज जो है आज

खेत के एक कोने में सबसे थोड़ा खिसक कर

ख़ुद के दोने ख़ुद की पत्तल और हाथ में लोटा लिए बैठे हैं वे एक साथ

एक साथ सिकुड़े हुए

उनके बैठते ही जो दूर बैठे खा रहे हैं सिमटते हैं वे अपने में

कोने की पाँत को परसैया परोस रहे हैं दूर-दूर से

फटे-चिथड़ों में सिमटे हुए बैठे हैं वे मृत्यु के महाभोज में

पत्तल में उनकी परोसी जा रही है खोबा भर-भर कर नुक्ती

सेव थोड़ा कम सबके एवज़ में

इकट्ठे पंद्रह-बीस पूरी आलू की सब्ज़ी और रायता इस तरह कि

दोने से ज़्यादा गिरता है ज़मीन पर

बाक़ी सब पाँतों में जाते हैं परसैया बार-बार

किसी चीज़ की कमी पड़ जाए

और उनकी तरफ एक बार परोसकर देखते नहीं फिर पलटकर

यह खंडित महाभोज मृत्यु का हो या हो जन्म का

चल रहा है सदियों से

कहने को सारा गाँव भोज में एक साथ है

दूसरों ने खाया और मूँछों पर ताव देकर डकारते हुए उठ खड़े हुए

इन्होंने खाया

ख़ुद की पत्तलें समेटीं और दूर से ही हाथ जोड़कर चल दिए

थोड़ा सिकुड़कर थोड़ा सिमटकर डकार ली दूर जाकर

किया प्रणाम अन्न को दोना पत्तल ने चिढ़ाया मुँह

जल से भरे लोटे ने कहा मुँह फुलाकर

अपने संग-संग तुमने उनने हमें भी अछूत बनाया।

स्रोत :
  • रचनाकार : नीलेश रघुवंशी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए