पैसे का लोकतंत्र

paise ka loktantr

श्वेतांक सिंह

श्वेतांक सिंह

पैसे का लोकतंत्र

श्वेतांक सिंह

और अधिकश्वेतांक सिंह

    पैसे से

    गर्मी बदल सकती है ठंड में

    पूस बन सकता है जेठ

    जंगल बन सकते हैं शहर

    और मध्यान्ह

    कहे जा सकते हैं

    रात के चारों पहर

    पैसे से—

    क्वार की धूप में

    सुखाए जा सकते हैं मज़दूर

    माघ की रात में

    पटवाए जा सकते हैं खेत

    और

    ओद पत्तियों को चूल्हे में झोंककर

    पकवाए जा सकते हैं

    दावतों के लज़ीज़ पकवान और व्यंजन

    पैसे से—

    हत्या लिखवाई जा सकती है आत्महत्या

    दहेज़ को कहा जा सकता है संपन्नता-शुल्क

    भेड़ियों को दुधारू पशु बताया जा सकता है

    और कामियों को

    कहलवाया जा सकता है त्यागी

    पैसे से—

    नरक को स्वर्ग जैसा दिखलाया जा सकता है

    दैत्यों को कहा जा सकता है मसीहा

    और जेल नुमा घरों के द्वार पर

    किसी सुंदर घर का नाम लिखवाया जा सकता है

    पैसे से—

    गोलियाँ लिख सकती हैं

    सफ़ेद पन्ने पर एक बहुत बड़ा शून्य

    मासूम बनाए जा सकते हैं बारूद के गोले

    भूख को कहा जा सकता है विद्रोह

    और

    अधिकार को लिखा जा सकता है अपराध

    पैसे से—

    कुकर्मों को सत्कर्म बनाया जा सकता है

    लूट का उत्सव मनाया जा सकता है

    कुर्सी से लात मारकर

    फेंके जा सकते हैं योग्य लोग

    और

    जहर से दूध बनाया जा सकता है

    पैसे से—

    कामगारों के हाथों से

    मामूली दामों पर छीनकर

    बाज़ार में हज़ारों में बेंची जा सकती हैं साड़ियाँ

    पैसे से—

    लोकोपकार के मुखौटे में

    छुपाया जा सकता है आदमी का जानवरत्व

    चाटुकारों को नायक बनाया जा सकता है

    पैसे से—

    दंभी और घमंडी राजाओं को

    सेवक वाला

    जादुई

    प्रजातांत्रिक जामा पहनाया जा सकता है॥

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्वेतांक कुमार सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए