पहरा देने की ज़िद

pahra dene ki zid

श्रीधर करुणानिधि

श्रीधर करुणानिधि

पहरा देने की ज़िद

श्रीधर करुणानिधि

और अधिकश्रीधर करुणानिधि

    चिड़िया के पास

    पहले से ही

    एक पेड़, कुछ सपने और एक गिलहरी थी

    दोस्ती के लिए पंख थे साबुत

    फिर उड़ता-उड़ता जाने कहाँ से एक डर

    बैठ गया उसके पास

    हँसती-खेलती चिड़िया के लिए

    पहले पतझड़ एक डर था

    बिल्कुल आदिम!!!

    हरा पेड़ पतझड़ को कभी नहीं समझ सकता

    इसलिए वह चिड़िया की ख़ुशी को

    बिल्ली की भलमनसाहत पर छोड़कर

    आँख मूँद सो गया

    पहरा देना बिल्ली के लिए

    एक मज़ेदार विषय था

    इतिहास की ख़ामोशी से

    बिल्ली की लार टपक पड़ी...

    चिड़िया की शिकायत जब तक

    पतझड़ के पास पहुँच पाती

    उसके पंख नोच कर गिलहरी के पास

    चिट्ठी की तरह भेजे गए...

    बिल्ली को मज़ा आया

    कि एक ज़िद पहरे की तरह

    खड़ी रही रात भर

    पंख नोचे जाने तक...

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्रीधर करुणानिधि
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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