Font by Mehr Nastaliq Web

ओकराप्रति, जनैत बुभैत रहैत अछि जे चुप

okraprati, janait bubhait rahait achhi je chup

रोशन जनकपुरी

अन्य

अन्य

रोशन जनकपुरी

ओकराप्रति, जनैत बुभैत रहैत अछि जे चुप

रोशन जनकपुरी

और अधिकरोशन जनकपुरी

    एकटा इजोत

    अछि खेहारि रहल हमरा

    हम

    सहेजने अन्हारकेँ

    अपस्याँत, लंक लागिकऽ

    भागि रहल छी अन्नाधून।

    सहेजनाइ अन्हारकेँ

    नहि अछि इच्छा हमर, परंच

    विवशता अछि।

    आत्ममोह

    भोगक आकर्षण

    नीजित्वक आदत

    कऽ देने अछि विवश हमरा

    तैँ हम भागि रहल छी

    भागि रहल छी

    जे कतौ भेटि नहि जाय इजोत

    जरि नहि जाय अन्हारक खोल

    नुकायल छी जाहिमे हम।

    मुदा इजोत

    छोड़ि नहि रहल अछि हमर संग।

    रुपैयाबला बन्दुकसँ निकलल

    भूखबला गोली खाकऽ

    अर्रा कऽ खसैत लोकक संग

    रहैछ इजोत

    हम भागि कऽ जाइत छी जतऽ,

    सार्वजनीन लोक,

    दृश्य

    उपस्थित रहैत अछि ओतऽ।

    इजोत

    छोड़ि नहि रहल अछि

    हमर पछोर।

    हम भागि रहल छी

    चौक-चौराहा,

    यत्र-तत्र

    अन्हारक खोल

    पकड़ने कसियाकऽ

    विवश हम।

    हमरा माफ करब

    इजोतक नागरिक सभ

    इजोत तँ अछि हमरो प्रिय

    मुदा अन्हारमे जीयब विवशता अछि हमर।

    हमरा पालबाक अछि

    हमर नीजि बेटा

    हमरा बनयबाक अछि

    हमर नीजि महल

    हमरा भोगबाक अछि

    हमर नीजि सुख

    हमर आदत हमर विवशता, आह!

    कतेक विवश हम!

    हमरा माफ करब मित्र,

    हमरा माफ करब।

    स्रोत :
    • पुस्तक : समय गीत (पृष्ठ 30)
    • रचनाकार : रोशन जनकपुरी
    • प्रकाशन : मैथिली विकास कोष, जनकपुर
    • संस्करण : 2013

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY