ओ अच्छी लड़कियो

o achchhi laDkiyo

प्रतिभा कटियार

प्रतिभा कटियार

ओ अच्छी लड़कियो

प्रतिभा कटियार

और अधिकप्रतिभा कटियार

    अच्छी लड़कियो,

    तुम मुस्कुराहटों में सहेज देती हो दुःख

    ओढ़ लेती हो चुप्पी की चुनर

    जब बोलना चाहती हो दिल से

    तो बाँध लेती हो बतकही की पाजेब

    नाचती-फिरती हो

    अपनी ही ख़्वाहिशों पर

    और भर उठती हो संतोष से

    कि ख़ुश हैं लोग तुमसे

    अच्छी लड़कियो,

    तुम अपने ही कंधे पर ढोना जानती हो

    अपने अरमानों की लाश

    तुम्हें आते हैं हुनर अपनी देह को सजाने के

    निभाने आते हैं रीति-रिवाज, नियम

    जानती हो कि तेज़ चलने वाली और

    खुलकर हँसने वाली लड़कियों को

    ज़माना अच्छा नहीं कहता

    तुम जानती हो कि तुम्हारे अच्छे होने पर टिका है

    इस समाज का अच्छा होना

    अच्छी लड़कियो,

    तुम देखती हो सपने में कोई राजकुमार

    जो आएगा और ले जाएगा किसी महल में

    जो देगा ज़िंदगी की तमाम ख़ुशियाँ

    सँभालोगी उसका घर परिवार

    उसकी ख़ुशियों पर निसार दोगी ज़िंदगी

    बच्चो की खिलखिलाहटों में सार्थकता होगी जीवन की

    और चाह सुहागन मरने की

    अच्छी लड़कियों

    तुम थक नहीं गयीं क्या अच्छे होने की सलीब ढोते ढोते

    सुनो, उतार दो अपने सर से अच्छे होने का बोझ

    लहराओ आसमान तक अपना आँचल

    हँसो इतनी तेज़ कि धरती का कोना-कोना

    उस हँसी में भीग जाए

    उतार दो रस्म-ओ-रिवाज के जेवर

    और मुक्त होकर देखो संस्कारों की भारी-भरकम ओढ़नी से

    अपनी ख़्वाहिशों को गले से लगाकर रो लो जी भर के

    आँखों में समेट लो सारे ख़्वाब

    जो डर से देखे नहीं तुमने अब तक

    अच्छी लड़कियो,

    अब किसी का नहीं

    सँभालो सिर्फ़ अपना मान

    बेलगाम नाचने दो अपनी ख़्वाहिशों को

    और फूँक मारकर उड़ा दो सीने में पलते

    सदियों पुराने दुःख को

    पहन के देखो

    लोगों की नाराज़गी का ताज एक बार

    और फोड़ दो अच्छे होने का ठीकरा

    अच्छी लड़कियो...

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रतिभा कटियार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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