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नमक का ढेर

namak ka Dher

शोभा अक्षर

अन्य

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शोभा अक्षर

नमक का ढेर

शोभा अक्षर

और अधिकशोभा अक्षर

    घिनौनी गालियों, ठहाकों और मज़ाक़ का

    एक तमाचा उसके चेहरे पर पड़ा

    उसने सूनी और चकराई आँखों से

    अपने चारों ओर देखा

    आख़िर वह चारागाह पहुँच गया था

    उसने देखा— भोंडी और कुत्सित मुस्कुराहट से

    रंगे लोग

    रक्त रंजित नमक जैसे वहशी लोग

    चीख़ते-चिल्लाते और ज़हरीले हवा में

    अपना अदृश्य मुक्का लहराते लोग

    वह बराबर की हैसियत से

    यहां सम्मिलित हुआ था

    बराबर!

    उनके बराबर होने की परिभाषा में

    कई ख़ूनी किस्से हैं

    वह अंदर ही अंदर अपमान से भर रहा था

    उसने पूछा,

    क्या तुम्हारी आत्मा एक दम मर गई है?

    सब ख़ामोश थे

    उसने फिर देखा—

    बुरी तरह दूसरों को नीचा दिखाने और

    पैरों तले रौंदने के लिए छटपटाते लोग

    नमक के इस ढेर पर वह अकेला नहीं खड़ा है

    उसके साथ और भी मज़दूर हैं

    उन सभी मज़दूरों की अनुभवी आँखें जानती हैं कि

    इनका पेट सिर्फ़ अनाज से नहीं भरता

    स्रोत :
    • रचनाकार : शोभा अक्षर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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