नेयारने रही हमहूँ जे
आजुक दिन सत्कारक एहि हूलिमे
सम्मिलित होयब सपरिवार
डिभिआयल छल सपना बहुत पूर्वे, जे
कोनो दीयरि/कोनो गार्डेन/आकि कोनो ऐय्यासी खंडहरक
तिरपेच्छनकऽ लेब
अही दिनुक नामपर लागल लिलसाकेँ मेटा लेब
मुदा, से नहि लागल पार
प्रदर्शनी-परिपाटीक वेदनासँ आँट भेल मोन
हत्या-बलात्कार-व्याभिचारक समाचारसँ
लहालोट भेल मोन
भाषण-सम्भाषण-इन्द्रासनसँ
छोट-दर-छोट भेल मोन...
डूमि गेलहुँ सत्ते स्वागत-संगीतक आसमर्दमे
आ गुड्डी जकाँ आकाश छुबैत हमर इच्छा
तुलसीचौराक पाँजरमे गाड़ल ध्वजा जकाँ
स्थावर बनल रहि गेल
जानल छल
एहि भगजोगनीक बाद
भेटत, वैह ऋणक इजोरियासँ गौरबे टर्र भेल चान
ओकरे पूर्णिमाँ मूँह देखि गुड़-चाउर खाइत रहब सदच्छन
हरिण जकाँ दुर्घट भेल रहत प्राण, आ
ओहिना फेर फरफराइत रहतै
सिरमा उपर टांगल कलेण्डरक बारहो पन्ना
स्वागत-सत्कारक सभटा फूल भऽ जेतै निर्माल
बीतल सालक सभ हिसाब-किताब
धराउ नुआ जकाँ सैंतिकऽ राखि देल जेतै
अगिला सालक बास्ते
तैयो एगो इच्छा छल व्यस्त
जे एहि दिनुक नामपर/इच्छा भरि मातल
पत्नी-सहवासक आनन्द लऽ सकब
(बियाहक साल नहि घिचा सकल रही पेयर-फोटो)
मुदा सेहो नहि लागल पार
मोने-मोन खदकैत रहलहुँ
जे अहिना भोज महक अँइठ पात जकाँ
दुरजरू होइत रहब बाट-घाट/जत्र-कुत्र
दोसर आजादीक नामपर
आकि एशियाडी सम्मानपर
आकि निरगुटी सम्मेलनक अंजामपर
अहिना नऽब घर उठैत रहतै/दऽब घर टुटैत रहतै
राजनेता सभक नानी मरैत रहतै।
तैयो तोहर आगमनपर सोचने रही हमहूँ जे
लोटा आ खराम लऽकऽ दौगब
मुदा सेहो नहि लागल पार
भिनसरे मुन्नी पुरना कलेण्डर बदलि गेल अछि
तोहर अयबाक समाद कहि गेल अछि
मुदा हमरामे से उत्साह, से स्पंदन कतऽ आइ?
रातिये पत्नी कहैत छली—
सिदहाक नामपर ई सेर भरि चिक्कस छै
पका लियौ आइये
आकि नब सालक अवसरपर काल्हि
मूँह ऐँठबै जेतै सभ!
से सोचि-सोचि मोन औनाइये
जकर विगत-आगत साँझ
एकादशीये सिरजतै
कोनाकऽ परीछत तोरा?
चुमाओत कोन धानसँ?
तैयो, मुदा लागल छल जिद्द...
- पुस्तक : उपक्रम (पृष्ठ 10)
- रचनाकार : बिभूति आनन्द
- प्रकाशन : भवानी प्रकाशन
- संस्करण : 1984
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