सहरसा छी हम
मिथिलाक आँचरमे पैसल
एकटा अनाथ, अछूत
निःशक्त आ बेमार
बालक जकाँ
सहरसा छी हम
कोसीक कोपसँ
दहाइत-भासैत
विकास दिस अँखियासल आँखि
अपन अस्तित्व लेल
रगड़घस्स करैत
सहरसा छी हम
ठेगहुन धरि कादो आ खदहामे
सड़कक बीचम-बीच
धुरखेल खेलाइत
चाँदनी चौकपर
सन् बियालिसक
शहीदक मेटायल नाम
पढ़ैक जुगतमे
थाना चौकपर
कुँवर सिंह तरुआरिमे
लागल जंग
हुनकर घोड़ाक अगाँमे
कुकुहारि मचबैत
श्वान समूहक संग
सहरसा छी हम
कारू थान
गाँजाक धुँइया आ
बहैत दूधक धार
ओ धारमे बहैत
कोसीक लोकक लिलसा
अशिक्षाक अन्हरिया बिलबिलाइ
गाम-गाम, शहर-शहर
कतऽ छै भारती-मंडनक
ज्ञान मीमांसा
ई पूछैत
सहरसा छी हम
बीस बेर घोषणा बादो
एक बेर उद्घाटनक आसमे
प्रचण्ड चिड़चिड़िया रौदमे
घामे-घाम जोहैत छी
ओवर ब्रीज बनबाक बाट
सड़कक दुनू दिस
देह गाथाक खिस्सा कहैत
खिरियाही संकेतसँ सोर करैत
नगर वधु संग जुरबैत-झमाइत
सहरसा छी हम
कोसीक पी.एम.सी.एच. कहाबय वला
सदर अस्पतालक फर्शपर
कतेक व्याधिसँ कुँहरैत लोक
आओर ओकर देहपर
भिन-भिनाइत
असंख्य माछीक संग
सहरसा छी हम
सोनबरसा कचहरीमे
राटन शुरू होयबाक आसमे
अमरपुर हरिपुर
मोहनपुर, बिसनपुर
माहखड़, भरौली, कुमेदान सन
कतेक गामक किसानक
पथरायल आँखि
मत्स्यगंधा झीलमे
चरैत गाय, महींस बकरी
आ ओहि झीलमे
क्रिकेट खेलैत
छोड़ा सभक संग
सहरसा छी हम।
- पुस्तक : परिचय बनैत शब्द (पृष्ठ 31)
- रचनाकार : मुख्तार आलम
- प्रकाशन : मुख्तार आलम
- संस्करण : 2021
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