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मुझे एक पीला पत्ता दिखा

mujhe ek pila patta dikha

आनंद बहादुर

अन्य

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आनंद बहादुर

मुझे एक पीला पत्ता दिखा

आनंद बहादुर

और अधिकआनंद बहादुर

    मुझे एक पीला पत्ता दिखा

    झुक कर उठाया उसे

    उसको उठाते ही

    दिन उस पीले पत्ते जैसा हो गया है

    कातर

    अब मैं पूरी तरह

    पीले पत्ते की तप्त

    भूलभुलैया में हूँ

    किस पेड़ का होगा

    किस डाल पर उगा

    कब फूला-फला

    किस ऋतु में रसमसाया

    कौन से स्वप्न

    उसकी धमनियों में पले

    हवा ने कब गुदगुदाया

    कोई तितली उस पर बैठी

    या तितली के इंतज़ार में रहा

    और टूट गिरने का समय गया

    अचानक रहा है

    उस पीले पत्ते पर

    एक पीले पत्ते जैसा प्यार

    पीले पत्तों की एक नदी है

    पीले पत्तों का एक बादल है

    पीले पत्तों की एक पृथ्वी है

    सब अपने अपने समयों के

    पीले पत्ते हैं

    और अब मैं ख़ुद

    अपार करुणा से भरे हाथ में थमा

    एक पीला पत्ता हूँ

    स्रोत :
    • रचनाकार : आनंद बहादुर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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