कविताक आह्वान
अरुण किरण-रेखासँ जागल जग-मग नवल प्रभात
सिहकय लागल नहु-नहु खेलइत संगी सुखद बसात
हँसइत फूल द्वारिपर झुलइत नचइत सरिता-कूल
जल-तरंगपर चकमक करइत, पथपर कण-कण धूल
कोर बैसि सूनल हम प्रथमे गुन-गुन स्वर्गिक गान।
मायक ममतामे कविता की करइत अछि आह्वान?1॥
सहजहिं मलय-समीर आबि पुलकित कयलक उद्यान
कुसुमित कली-कलीक सुरभिवश चञ्चरीक चित प्राण
आमक शाखा आलिङ्गित कय कुहकय कोकिल-कीर
नव वसन्त यौवनसँ मातल जड़-जंगमहु अधीर
नख-शिख कुसुमित लता-कुञ्जमे बैसलि प्रणय-विभोर
प्रेयसीक नयनक संकेते कविता करइछ सोर॥2॥
भीजल थल आर्द्राक, आर्द्र लोचन-जलदे बहि नोर
हिम भेल द्रवित, नदीक व्यथासँ भरि अयले दृग कोर
परदेशीक प्रेयसी उन्मन दूर जकर चित-चोर
आँखिक मोतीसँ दिन गनइत रजनी कयलक भोर
सूचित करइत पहुक आगमन, पाँती पतिक पठाय
आशा-बँधबय 'धीरज धरु धनि' कविता सखी सुनाय॥3॥
घर-घर गौरी करथि तपस्या पूजि तुषारी प्रात
वर वौराह उमाक देखिके होइछ उर आघात
मुदित किन्तु हिमवन्त विकल-मन मैना स्नेहक स्रोत
जनमि जनक-जननीक मैथिली घर-घर करथि इजोत
शकुन्तला आश्रमकेर शोभा पति-गृह आबि विभोर।
कण्व गौतमीके कनबथि, कविता पोछथि दृग-नोर॥4॥
कुञ्ज-पुञ्जसँ कोलाहल सुनि जन-पथ देखि समक्ष
हर-कोदारि-खुरपीक पुजारी अर्ध-गंग्न कत लक्ष
क्षुधित पिपासित रक्त शुष्क कय जोति कोड़ि जी दाबि
सुजला सुफला जनिक कठिन श्रम गीत वन्दना गाबि
कृषक श्रमिक केर श्रमजल चुबइत पावन गंगा-नीर।
साग-भात लय ठाढ़ि खेतमे कविता कमला तीर॥5॥
पति परलोक बसल, घर उजड़ल, चिन्तित चित्त अधीर
मास-माससँ जकर कमासुत सुत ज्वर-गलित शरीर
जकर अन्नपूर्णा भसिऐले कौशिकीक मझधार
जीवन-तटपर एक शब्द सुनइछ जे हाहाकार
ओहि अनाथ विधवाक अश्रुहिक समरो उमड़ल बाढ़ि।
करुण क्रन्दने कविता कनइछ कौशिकीक तट ठाढ़ि॥6॥
रस-तीतल बीतल वय, सहसा कटु जीवन-संघर्ष
छोड़ि फूल, मूलक अन्वेषणमे बूझल उत्कर्ष
छाया छोड़ि, मुक्त आतपमे जीवन ई गति-शील
नीचाँ धरती माता, ऊपर निर्मल-अम्बर नील
परवंशताक पाश कटइत जीवन बंदीक अधीर।
बलिदानक शूलीपर झुलइत कविता गाबय गीत॥7॥
पूर्वाञ्चलसँ सुन्दर वनक विहंगम उड़ि-उड़ि आबि
सिन्धु-संगिनी राबी कनइछ खण्डित रसना दाबि
उदित भानु रजनी-तम चिरइत नव-नव लय आलोक
किन्तु हमर अछि रूप विरूपित, हर्षहु बोरल नोर
एखनहु धर बिस्पी-आङनमे मिथिला बहबय नोर।
कविता मिलित कण्ठसँ गबइछ 'हमर दुखक नहि ओर॥8॥
- पुस्तक : रचना संचयन (पृष्ठ 32)
- संपादक : चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’/ शंकरदेव झा
- रचनाकार : सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
- प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
- संस्करण : 2012
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