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एक अफ़्रीकी शोक गीत

ek aphriki shok geet

अनुवाद : नीरजा जयालचंद

बेन ओकरी

अन्य

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बेन ओकरी

एक अफ़्रीकी शोक गीत

बेन ओकरी

और अधिकबेन ओकरी

    हम ख़ुदा के करिश्मे हैं

    वक्त का कड़वा फल चखने के लिए बनाया गया है हमें

    और एक दिन हमारी रंजिश

    धरती के करिश्मों में बदल जाएगी

    कुछ ऐसे मज़मूँ हैं जो अभी मुझे जलाते हैं

    सुनहले हो जाते हैं लेकिन ख़ुशी के लम्हों में

    हमारे दर्द का राज़ समझ सकते हो क्या तुम?

    कि हम ग़रीबी को झेलते

    और गा सकते हैं गीत, मीठे सपने भी देखते हैं

    गर्म हवा हमारे जिस्म को जब छूती है

    कोसते नहीं हम उसे—फलों को भी

    जो इस क़दर ज़ायकेदार होते हैं

    और रोशनी जो लरज़ती है लहरों पर नाज़ुक?

    हम अपने ग़म में भी दुआ देते हैं

    चुपचाप ख़ामोश दुआ देते हैं

    इसीलिए हमारे गीत इतने मीठे हैं

    वे हवा को याद दिलाते रहते हैं

    कुछ करिश्में हैं जो पोशीदा हैं—कारगर भी

    उनकी हक़ीक़त को वक़्त ही लाएगा सामने

    मैंने सुना है मुर्दों को गाते

    और कहते हैं वे ज़िंदगी कितनी ख़ुशनुमा है

    इसको शाइस्तग़ी से जियो—शिद्दत से—उम्मीद के साथ

    यहाँ पर इक अजूबा है पोशीदा—इक अचरज भी

    हर इक शै में निहां है कुछ कुछ जो चलता है

    समंदर की कोख नग्मों से भरपूर

    आस्मां दुश्मन नहीं अपना

    और क़िस्मत हमारी दोस्त।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 381)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : बेन ओकरी
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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