Font by Mehr Nastaliq Web

मीलक पाथर

milak pathar

कामिनी

अन्य

अन्य

कामिनी

मीलक पाथर

कामिनी

और अधिककामिनी

    मीत!

    अहाँ एना

    कहिया धरि बैसल रहब आशा मे

    की अहाँक थारी मे

    खसायत किओ रोटी

    अहाँक हाथ मे

    सौंपि देत किओ

    अहाँक अधिकार

    कहिया धरि ठाढ़ रहब

    मुँहथरि पर

    की अहाँक घर मे

    टाँग पसारि केँ सूतल लोक

    निकलि जायत सहजहि

    कहिया धरि

    बैसाखीक सहारे

    बजबैत रहबै

    बाहरक घंटी

    की किओ जागत

    जकरा अहाँ सुनेबै

    अपन सम्पूर्ण व्यथा-कथा

    मीत!

    कहिया धरि

    मुनने रहबै कान

    अभद्र गारि सुनि कऽ

    की चुप भऽ जायत अपनहि

    आखिर कहिया धरि

    बनल रहबै अहाँ

    मीलक पाथर

    जकरा पर जेठक दुपहरिया

    साओनक बरखाक

    असर नहि पड़ैत छै मीत

    स्रोत :
    • पुस्तक : समयसँ संवाद करैत (पृष्ठ 104)
    • रचनाकार : कामिनी
    • प्रकाशन : स्मृति प्रिंटर्स एण्ड पब्लिशर्स
    • संस्करण : 2008

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY