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तसलीमा नसरीनक लेल एक कविता

मेनका मल्लिक

अन्य

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मेनका मल्लिक

तसलीमा नसरीनक लेल एक कविता

मेनका मल्लिक

और अधिकमेनका मल्लिक

    जँ पाँचो मिनट साँच बाजी तँ

    निकालि देल जायब देशसँ

    खलील जिब्रानक एहि बातकेँ जनितो

    अपन जीवनक पलकेँ उतारलहुँ अहाँ

    सादा कागतपर।

    साँच लिखबाक सजाय

    अहाँकेँ भोगहि पड़ल

    तैयो

    अबला, असहाय दुखियेक नहि

    पटुओ सभक...

    बहुतो सकारात्मक सोचनिहार सभक

    बनलहुँ अहाँ आदर्श।

    तसलीमा!

    अहीँ कहने रही ने

    साँच लिखब अन्त-अन्त धरि

    से अहाँ लिखलहुँ

    देशसँ निर्वासित भेलहुँ।

    दिनक इजोतमे कारी स्याह मोन लेने

    उज्जर पोशाक पहीरि

    रातुक अन्हारमे

    घूमऽ बलाक विरुद्व

    कारिख पोतनिहारक विरुद्ध...

    लिखब अन्तधरि

    अहाँ कहने रही

    सेहो अहाँ लिखलहुँ

    दालि दरड़लहुँ कतोक छातीपर।

    शुभकामना तसलीमा!

    लिखैत रही अहाँ

    लिखी

    आ, तैयार करी अपने सन

    कतोक तसलीमा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : गेल्ह सब झाड़ैत अछि पाँखि (पृष्ठ 81)
    • रचनाकार : मेनका मल्लिक
    • प्रकाशन : चतुरंग प्रकाशन
    • संस्करण : 2017

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